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उस ज़ुल्फ़ की याद जब आने लगी / फ़िराक़ गोरखपुरी उस ज़ुल्फ़ की याद जब आने लगी इक नागन-सी लहराने लगी जब ज़िक्र तेरा महफ़िल में छिड़ा क्यों आँख तेरी शरमाने ...